गुरुदवारा श्री गढ़ी साहिब रोपड़ जिले में चमकौर साहिब में स्थित है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और 40 सिखों ने श्री आनंदपुर साहिब को छोड़ने के बाद सिरसा नदी पर पंहुचे । जब गुरु साहिब ने सिरसा नदी को पार किया, तो माता गुजरी जी और छोटे साहिबज़ादे उनसे अलग हो गए। कई सिख नदी पार करते हुये मर गए। गुरु साहिब जी अपने दो बड़े बेटों के साथ चामकौर साहिब के क्षेत्र की ओर चल पड़े। माता गुजरी जी और छोटे बेटे गुरु साहिब रसोइया गंगू के साथ मोरिंडा तहसील के गांव सहेड़ी पहुंचे थे। 7 पोह समात 1761 को, वह गुरुदवारा श्री दमदमा साहिब वाले स्थान पर एक बाग में पंहुचे । गुरू साहिब ने अपने 5 सिखों को राय जगत सिंह, गढ़ी के मालिक को कुछ समय के लिए शरण देने के लिए कहा। सिंह जगत सिंह के पास गए और गुरू साहिब का संदेश से अवगत कराया और यह भी कहा कि गुरू साहिब ईस व्क्त बाग में है जो शहिर के बाहर स्थित है। यह सुनकर राय जगत मुस्लिम सैनिकों से डर गया, उसने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और कहा कि वह अपना सहियोग देने में असमर्थ है और गुरू साहिब की देखभाल करने के लायक नहीं है। जगत सिंह का जवाब सुनने के बाद सिख गुरू साहिब के पास लौटे और पूरी बातचीत बताई। तब गुरू साहिब ने उस स्थान पर फिर से 50 सिक्कों के साथ एक सिख को भेजा। सिंह ने जगत सिंह के छोटे भाई रूप चंद को अपनी जगह देने का अनुरोध किया। रूपचंद ने 50 सिक्के लिए और उस गढ़ी में अपना आधा हिस्सा दे दिया। गुरू साहिब अपने 2 बेटों और 40 सिखों के साथ उस गढ़ी में चले गए। इस पर राय जगत ने रूप नगर में मुगल सैनिकों की सूचना दी जो गुरू साहिब की तलाश कर रहे थे। सैनिकों ने गढ़ी पर पहुंचकर क्षेत्र को घेर लिया। यह देखकर गुरू साहिब ने अपने सिखों को युद्ध के लिए तैयार किया | दिल्ली के राजा ने गुरु साहिब से लड़ने के लिए एक सेना भेजी । सेना प्र्मुख ख्वाजा मर्दूद खान एक मन्नत लेकर आया कि मैं श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को जीवित पकड़ लूंगा और उन्हें दिल्ली ले आऊंगा। दूसरी ओर, बाई धार के राजाओं ने अपने सभी सैनिकों को गुरु साहिब से लड़ने के लिए भेजा । गुरु साहिब और सिंह ने इस किले में मोर्चा लगाकर दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार किया। ख्वाजा मर्दुद खान और 1 लाख पहाड़ी प्रमुखों की सेना ने चामकोर साहिब के किले को घेर लिया। सिखों ने किले से मुगल सेना से लड़ना शुरू कर दिया ३ और ४ पोह पर एक भयंकर युद्ध हुआ जिसमें कई मुगल सेना और कई सिंह भी मारे गए। सिखों में, तीन प्यारे भाई साहिब सिंह, भाई हिम्मत सिंह और भाई मोहकम सिंह शहीद हो गए। दुश्मन से लड़ने के लिए सिख छोटे-छोटे जत्थों में जाने लगे। साहिबाज़ादा अजीत सिंह और साहिबज़ादा जूझार सिंह के नेतृत्व में दो ऐसे जत्थे अन्य सिखों की तरह वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहीद गईं । अंत में, गुरु साहिब खुद मैदान में उतरने के लिए तैयार होने लगे खालसा के सिद्धांत के तहत, सिखों ने गुरु साहिब से खुद को किला छोड़ने के लिए कहा यदि आप स्वयं युद्ध में कूद पड़े, तो हमारे पंथ का संस्थापक कौन होगा? इसलिए हमारी प्रार्थना है के आप किले से बाहर निकल जायें । खालसा और सबसे प्रिय सिखों के अनुरोध पर, गुरु साहिब ने रात को इस किले को छोड़ दिया। तेज बारिश हो रही थी और हवा चल रही थी गुरु साहिब ने भाई दया सिंह और भाई मणि सिंह को मिलने के संकेत के बारे में बताया भाई जीवन सिंह जी को कलगी और बाना देते हुए, गुरु साहिब ने किले को छोड़ दिया आगे पिपल के पेड़ के नीचे जहाँ ख्वाजा मरदूद खान तैनात थे, उन्होंने जोर से ताली बजाई और चिल्लाया,|| इस प्रकार गुरु साहिब ने अपने प्रस्थान की घोषणा की।
|
|
|
गुरुद्वारा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर |
|
|
|
|
अधिक जानकारी
:- गुरुदवारा श्री गढ़ी साहिब, चमकौर साहिब
किसके साथ संबंधित है
:- श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
साहिबजादा अजीत सिंह जी
साहिबजादा जुझार सिंह जी
पता
:- चमकौर साहिब जिला :- रोपड़
राज्य :- पंजाब
फ़ोन नंबर :- |
|
|
|
|
|
|