गुरुदवारा श्री पात्शाही पहिली और दस्वीं साहिब मुक्तसर जिले के गांव सराये नागां में स्थित है। जब श्री गुरु नानक देव जी यहां आए तो श्री गुरु अंगद देव जी के पिता भाई फ़ेरू मल जी से रबाब ले कर और भाई मर्दाना जी को दिया। श्री गुरु नानक देव जी यहां 6 दिनों तक रहे। उन दिनों यहां एक सूफी संत रहते थे। लोग उन्हें नागा कहते थे। गुरू साहिब ने कर्मू नामक व्यक्ति का कोड़ के रोग से इलाज किया। बाद में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी मुक्तसर की जंग के बाद यहां आए। गुरू साहिब यहाँ एक रात के लिए रुके और नागा साधु से मिले। इतिहास में साधु की आयु लगभग 1700 वर्ष बताई गई है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने साधु से चर्चा की और उन्हें बताया कि रिधी सिधी की मदद से अपनी उम्र बढ़ाना सही नहीं है। साधु ने गुरू साहिब से पूछा कि उनकी मृत्यु के बाद कोई उन्हें याद नहीं करेगा, इसलिए गुरू साहिब ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि यह गाँव उनके नाम पर प्रसिद्ध होगा, इसलिए मते दी सरां से गांव का नाम सराये नागां रखा गया।
|
|
|
गुरुद्वारा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर |
|
|
|
|
अधिक जानकारी :-
गुरुदवारा श्री पात्शाही पहिली और दस्वीं साहिब, सराये नागां
किसके साथ संबंधित है:-
श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
पता
:- गांव :- सराये नागां कोटकपुरा मुक्तसर सड़क जिला :- मुक्तसर
राज्य :- पंजाब
फ़ोन नंबर :- |
|
|
|
|
|
|