गुरदुआरा श्री ग्रंथीआं साहिब
ईस शहिर मेंश्री गुरु अर्जन देव जी और श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने अपने चरण डाले। बारिश के दिनों में, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने श्री करतारपुर साहिब से ब्यास नदी को पार किया और रूहेले नगर के ऊंचे स्थान पर डेरा डाला। पहले इस स्थान पर 1644 में श्री गुरु अर्जन देव जी ने इस स्थान को सथापित किया था। लेकिन बाद में इस पर चंदू और भगवान दास खत्री ने कब्जा कर लिया।
1687 में जब श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने ईस स्थान पर डेरा डाला, तो भगवान दास ने गुरु साहिब का विरोध किया और गुरु साहिब के लिए अपशब्द बोले। जिससे सिखों ने गुरु साहिब से आज्ञा लेकर उसे अच्छी तरह से पीटकर नदी में फेंक दिया। पिता की खबर सुनकर गेरड़ के बेटे रतन चंद और चंदू के बेटे करमचंद ने जालंधर के सूबे अब्दुल खान से शिकायत की। उनकी फ़रिआद स्वीकार करते हुए अब्दुल खान ने 15 हजार की सेना के साथ गुरु साहिब पर हमला किया। इस स्थान पर तीन दिनों तक भयानक युद्ध हुआ, जिसमें अब्दुल खान और उनके पुत्र नबी बख्श और पांच सेनापति मारे गए, गुरु साहिब यहां आए, अपना कमरकसा खोला और आराम किया। उस स्थान पर गुरदुआरा श्री दमदमा साहिब शुशोबित है । भाई जट्टू जी भाई मठ जी भाई नैनो जी भाई शक्ति जी गुरु साहिब के सिख इस युद्ध में शहीद हुए थे गुरु साहिब ने अपने हाथों से शहीद सिखों का संस्कार किया और एक गड्ढा खोदकर तुर्कों को भी दफनाया और उस पर एक सुंदर मंच बनाया।
|
|
|
गुरदुआरा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर |
|
|
|
|
अधिक जानकारी:-
गुरदुआरा श्री ग्रंथीआं साहिब, श्री हरगोबिंदपुर
किसके साथ संबंधित है:-
श्री गुरु अर्जन देव जी
श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी
पता :-
श्री हरगोबिंदपुर
ज़िला :- गुरदासपुर
राज्य :- पंजाब
फ़ोन नंबर :-
|
|
|
|
|
|
|