ItihaasakGurudwaras.com A Journey To Historical Gurudwara Sahibs

ਪੰਜਾਬੀ     ENGLISH     हिन्दी   
ItihaasakGurudwaras.com

गुरुद्वारा श्री पातशाही छेंवी साहिब, गांव भाई रुपा, जिला बठिंडा के पास स्थित है। भाई साधु जी और उन्के पुत्र भाई रूपा कुछ फसलों की कटाई के लिए गांव कोठा गुरू खेतों में गए। वे मशक ले गए। वहां पहुंच कर इसे पेड़ की शाखा पर लटका दिया। काफी गर्म दिन था। कुछ समय तक काम करने के बाद जब उन्हें प्यास लगी, तो वे पानी पीने आए । मशक को हाथ लगाते ही उन्हें लगा कि पानी बहुत ठंडा है। भक्ति के साथ आगे बढ़ने पर, उन्होंने अपने विचारों में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी को पानी की पेशकश की। कि पहले गुरु साहिब को पीना चाहिए, उसके बाद ही वे इसे पीएंगे। और फिर से उन्होंने काम करना शुरू कर दिया, समय बीत गया और वे बेहोश हो गए। गुरु साहिब भाई की डरोली में थे। जब गुरू साहिब को उनके शेखों के बारे में पता चला। वह वहां से अपने घोड़े की सवारी करते हुए वह 30 मील की दूरी तय करते हुए वहां पहुंचे। जब गुरु साहिब वहां पहुंचे तो उसने उन्हें पुछा कि क्या कोई उन्हें पानी दे सकता है क्योंकि वह (गुरु साहिब ) प्यासे महसूस कर रहे थे। जब भाई रूप चंद जी ने ऊपर देखा तो गुरु साहिब से उनके सामने खड़े थे। उसने अपने पिता को बुलाया और दोनों गुरू साहिब के चरणों में गिर पड़े। गुरु साहिब ने खुद पानी पिया और उन्हें भी पानी पिलाया और उनसे कहा कि वे इस काम को छोड़ दें। अब आपको ध्यान करने की आवश्यकता है। गुरु साहिब ने उन्हें तलवार दी और उन्हें सिख धर्म के संदेश को फैलाने के लिए कहा। भाई साधु जी ने बताया कि वहाँ गाँव के लोग उनसे जलन महसूस करते हैं। गुरु साहिब ने उन्हें उस जगह को छोड़ने के लिए कहा और उन्हें एक नई जगह का सुझाव दिया। अपना गाँव शुरू करो। लोग आपका अनुसरण करेंगे। इसका नाम भाई रूपा है। गुरू साहिब रात भर वहीं रहे। बाद में गुरू साहिब ने लकड़ी के खंभे गाडकर इस गाँव की नींव रखी। (जो अभी भी यहाँ मौजूद है।) गुरू साहिब खुद इस जगह पर 6 महीने और 9 दिन रहे और लोगों को यहाँ बसने में मदद की। बाद में गुरू साहिब सेना के साथ यहां आए। भाई रूप चंद जी गुरबानी का संदेश फैलाते रहें। उनके दो बेटे भाई धरम जी और भाई परम जी भी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भक्त थे। वे श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जब तक गुरू साहिब रहे। भाई धर्म सिंह ने गुरू साहिब की ज्योति जोत की खबर दी। जब भाई रूप चंद जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने भी अपने प्राण तिआग दीये। जिस स्थान पर भाई रूप चंद जी ने अपना शरीर छोड़ा था वह भाई की समाध है।

यहां संरक्षित रथ साहिब (एक रथ) को कश्मीर के संगत द्वारा श्री गुरु रामदास साहिब जी, को भेंट किया गया था। बाद में श्री गुरु रामदास साहिब जी, श्री गुरू अरजन देव जी, माता गंगा जी, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी, और श्री गुरु हरराये साहिब जी ने इस रथ साहिब का इस्तेमाल किया। माता जी इस रथ पर बाबा बुढा जी से एक पुत्र का आशीर्वाद लेने गई थीं। श्री गुरु हरराये साहिब जी के निर्देश पर भाई राम राय जी इस रथ पर मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब से मिलने दिल्ली गए। लेकिन उन्होंने गुरू साहिब के आदेश की अवहेलना की और गुरबानी को विकृत कर दिया। जब गुरू साहिब को यह पता चला, तो उन्होंने राम राय जी को संदेश भेजा और उनसे जीवन में अपना चेहरा न दिखाने के लिए कहा। भाई राम राय जी देहरादून चले गए और वहाँ अपनी बाकी के जीवन के लिए रहे। यह रथ जीवन के अंत तक उनके साथ रहा। बाद में उनकी पत्नी माता पंजाब कौर जी ने खबर फैलाई कि जो भी कभी इस रथ साहिब को बिना घोड़े या बैल के ले जा सकता है वह इस रथ को ले जा सकता है। भाई धरम सिंह जी देहरादून से इस रथ को स्वयं खींच कर यहां लाए थे।

 
गुरुद्वारा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर
 
 
  अधिक जानकारी :-
गुरुद्वारा श्री पातशाही छेंवी साहिब, भाईरुपा

किसके साथ संबंधित है :-
  • श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी

  • पता :-
    गांव :- कोठा गुरू
    जिला :- बठिंडा
    राज्य :- पंजाब
    फ़ोन नंबर :-
     

     
     
    ItihaasakGurudwaras.com