गुरदुआरा श्री दमदमा साहिब गांव कालेके, तहि बाबा बकाला, जिला अमृतसर में स्थित है। 9वें गुरु बनने के बाद, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी दरबार साहिब, अमृतसर के दर्शन करने गए। मसंदों ने गुरु साहिब के लिए दरवाजा बंद कर दिया। गुरु का बाग व वल्ला आदि से वापिस बाबा बकाला जाते हुये गुरु साहिब यहां गांव कालेके के बाहर पहुंचे । गुरु साहिब के साथ आये सिख पानी की तलाश में गेहूं के खेतों में एक आश्चर्यजनक बात देखी। गुरु साहिब सिक्खों के साथ खेत में गए, ( अब वहां गुरदुआरा श्री चोला साहिब सुशोबित है ) खेत की रखवाली करते हुए एक बच्चा पक्षियों को उड़ाने की बजाय उन्हें दाना खिला रहा था। सिखों ने बच्चे से पूछा कि वह पक्षियों को उड़ाता क्यों नहीं है, तो बच्चे ने उत्तर दिया कि जैसे हम भूखे-प्यासे हैं, वैसे ही वे भी होंगे। गुरु साहिब ने बच्चे से पूछा कि तुमने यह कहाँ से सीखा, तो बच्चे ने कहा कि एक संत स्नान करते थे और इन शब्दों का उच्चारण करते थे "सबना जिया का इक दाता, सो मैं विसार न जाय"। गुरु साहिब ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है। बच्चे ने बताया कि उसका नाम नारू है। गुरु साहिब नारू को अपने साथ ले गए। जब गुरु साहिब त्रिथों में गए, तो नारू गुरु साहिब की सेवा में उपस्थित थे। जब गुरु साहिब शहिदी देने के लिए दिल्ली गए तो नारू साथ थे। दिल्ली पहुंचकर, गुरु साहिब ने नारु को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की सेवा में जाने का आदेश दिया। गुरु साहिब के आदेश के बाद, नारू दिल्ली से श्री आनंदपुर साहिब आये और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की सेवा में लग गये । श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने नारू को अमृत छ्क्का कर नर सिंह बनाया
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गुरदुआरा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर |
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अधिक जानकारी
:- गुरदुआरा श्री दमदमा साहिब, कालेके
किसके साथ संबंधित है:-
श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी
पता :-
गांव :- कालेके
जिला :- अमृतसर
राज्य :- पंजाब
फ़ोन नंबर
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