गुरदुआरा श्री टेकरी साहिब, भोपाल
राजा भोज की राजधानी का पहले नाम भोजपाल था। यहाँ एक गणपत लाल नामक व्यक्ति रहता था। एक दिन उस व्यक्ति ने एक महिला के साथ दुर्व्यवहार किया। उस महिला ने गणपत लाल को श्राप दिया कि "भगवान करे, तुझे कोढ़ हो जाए।" कुछ समय बाद गणपत लाल के पूरे शरीर में कोढ़ हो गया। सभी हकीमों, वैद्यों और सूफियों से इलाज करवाने के बावजूद भी कोढ़ ठीक नहीं हुआ। गणपत लाल के घरवालों ने भी उसे घर से निकाल दिया और वह यहाँ आकर एक झोपड़ी बनाकर रहने लगा। एक दिन पीर जलालुद्दीन घूमते-घूमते इधर से गुजर रहे थे, तब गणपत लाल उनके पैरों में गिर पड़ा। पीर जी ने कहा, "मेरे पैरों में गिरने से कुछ नहीं होगा, तेरा उद्धार सिर्फ बाबा नानक ही कर सकते हैं, इसलिए तू बाबा नानक जी का ध्यान कर।"
अब गणपत लाल हर वक्त "धन गुरु नानक, धन गुरु नानक" जपने लगा । एक दिन गणपत लाल की पुकार सुनकर श्री गुरु नानक देव जी यहाँ आए। वह गुरु साहिब के चरणों में गिर पड़ा और कहने लगा, "गुरु साहिब, मुझे मेरे बुरे कर्मों की सजा मिल गई है। कृपा करो और मेरे दुखों का उद्धार करो।" गुरु साहिब ने भाई बाला जी से कहा कि "जाओ, जल लेकर आओ।" भाई बाला जी जल की तलाश में इधर-उधर घूमते रहे, लेकिन कहीं भी जल नहीं मिला। भाई बाला जी ने आकर गुरु साहिब को बताया कि यहाँ कहीं भी जल नहीं मिला। गुरु साहिब ने भाई बाला जी से कहा, "जल तो तुम्हारे सामने ही है। जाओ और कमंडल भर लाओ।" गुरु साहिब की आज्ञा से भाई बाला जी गए और जल्दी ही जल लेकर लौट आए। गुरु साहिब ने भाई बाला जी से कहा, "तुम रबाब बजाओ।" और उन्होंने स्वयं जल हाथ में लेकर गणपत लाल पर छींटे मारे। गणपत लाल जोर-जोर से "धन गुरु नानक" कहने लगा। गुरु साहिब ने उसे आशीर्वाद दिया कि "जा, तेरा उद्धार होगा।" यह सब देखकर गणपत लाल बेहोश हो गया। जब उसे होश आया, तो उसने देखा कि गुरु साहिब वहाँ नहीं थे। जिस पत्थर पर गुरु साहिब खड़े थे, उस पर उनके चरणों के निशान मिले। जिस स्थान पर जल प्रकट हुआ था, वहाँ गुरदुआरा श्री बावली साहिब स्थित है।
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गुरुदवारा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर
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अधिक जानकारी
:- गुरदुआरा श्री टेकरी साहिब, भोपाल
किसके साथ संबंधित है
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श्री गुरु नानक देव जी
पता:-
नीलकंठ कॉलोनी
ईदगाह हिल्स
भोपाल
फ़ोन नंबर:- |
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