गुरुदवारा श्री नानक झीरा साहिब, कर्नाटका राज्य के बिदर शहर में स्थित है | आज से पांच सौ साल पहले श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने संयम के उधार के लिए चारों दिशाओं की चार उदासियाँ की थीं | पहली उदासी पूरब दिशा में की, दूसरी उदासी दक्षिण की सन १५१० से १५१४ तक की | सुल्तानपुर लोधी से चलके सबका उधार करते हुए उन्कारेश्वर से बुरहानपुर होते हुए नांदेड (श्री हज़ूर साहिब अबचल नगर ) पहुंचे, उन्होंने आसन जहां लगाया वहां आजकल गुरुदवारा श्री माल्टेकरी साहिब है | वहां पर लकड़ शाह नाम का फकीर रहता था जिसे गुरु साहिब ने अनेकों वर देकर निहाल किया और आप गोलकुंडा से हैदराबाद होते हुए बिदर शहर पहुंचे और जहां आजकल अमृतकुंड है वहां आकर रुके |
गुरु साहिब ने पहाड़ी का रमणीक द्रिश देखकर भाई मरदाना जी को रबाब बजाने के लिए कहा और रब्बी कीर्तन शुरू कर दिया, सारा जंगल महक उठा इलाके के सारे पीर-फकीर दर्शनों के लिए आये | सभी झोली फैलाकर बिनती की हमारे धन भाग जो आपने यहाँ आकर हमें दर्शन देकर निहाल किया, तथा इस धरती को भाग लगाये हैं | आप बख्शीश करो यह धरती बड़ी अभागी है, इसमें मीठा पानी नहीं है, बहुत गहरे कुएं खोदने पड़ते हैं फिर भी पानी नहीं निकलता अगर निकलता है तो खारा, आप कृपा करो मीठे जल का प्रवाह चलाओ | गुरु साहिब ने आई संगत तथा पीर जलालुदीन और पीर याकूब अली की बिनती मान कर "सत करतार " कहकर अपने दांये पैर की ख्ड़ांव को पहाड़ी को छुहाया, पत्थर हटाया, पत्थर हटाने की देर थी के वहां से चश्मा फूटकर निकला | यह कौतक देखकर फकीर तथा सभी गुरु साहिब के चरणों में गिर पड़े | उस समय से लेकर आज तक वो मीठा अमृत चश्मा एक रस चल रहा है |
इस धरती की दूसरी महानता यह है के पांच प्यारों में से भाई साहिब सिंह जी, जिन्होंने चमकौर की जंग में शहीदी पाई, उनका जनम भी यहीं का है | माई भागो जी का अंतिम अस्थान भी यहाँ से १० किलोमीटर दूर गाँव जन्वादा में है |
तस्वीरें ली गईं
:-१५ दिसंबर, २००९ |
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गुरुद्वारा साहिब,गुगल अर्थ के नकशे पर
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अधिक जानकारी
:- गुरुदवारा श्री नानक झीरा साहिब
किसके साथ संबंधित है:-
श्री गुरु नानक देव जी
पता:- उदगीर रोड़ जिला :- बिदर राज :- कर्नाटक
फ़ोन नंबर
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